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कलाम
वारिस शाह
कलाम
हुस्न-ए-मुत्लक़ का अज़ल के दिन से मैं दीवाना थाला-मकाँ कहते हैं जिस को वो मिरा काशाना था
अमीर मीनाई
कलाम
करूँ फिर अ'र्ज़-ए-जल्वा हौसला इतना कहाँ मेराफ़राज़-ए-तूर पर हो तो चुका है इम्तिहाँ मेरा
सीमाब अकबराबादी
कलाम
दुनिया है ये अंदाज़-ए-शबिस्ताँ कोई दिन औरअच्छा तो फिर इक ख़्वाब-ए-परेशाँ कोई दिन और
सीमाब अकबराबादी
कलाम
नाला-ए-दिल लब से जिस दिन आश्ना हो जाएगादेख लेना तुम कि 'आलम क्या से क्या हो जाएगा
अब्दुल क़ादिर शरफ़
कलाम
दो दिन की तन-आसानी के लिए तक़दीर का शिकवा कौन करेरहना ही नहीं जब दुनिया में दुनिया की तमन्ना कौन करे
शाह महमूदुल हसन
कलाम
वो आग़ाज़-ए-मोहब्बत के भी क्या दिन थे अरे तौबाकि अब हर शाम इक शाम-ए-मुसीबत होती जाती है
एहसान दानिश
कलाम
अलिफ़ अहद दित्ती विखाली अज़ ख़ुद होया फ़ानी हूक़ुर्ब विसाल मक़ाम न मंज़ल उत्थ जिस्म न जानी हू
सुल्तान बाहू
कलाम
दाम-ए-कोन अंदर फँसा क्यूँ किस लिए किस वास्तेमुर्ग़-ए-बाग़-ए-किबरिया दिल हाय दिल अफ़्सोस दिल